और फिर कम ही ध्यान में रक्खा
क्या क़यामत नुमू2 थी वो जिस ने
हश्र3 उस की उठान में रक्खा
जोशिशे-ख़ू4 ने अपने फ़न का हिसाब
एक चोब,5 इक चटान में रक्खा
लम्हे-लम्हे की आपनी थी इक शान
तूने ही एक शान में रक्खा
हम ने पैहम6 कुबूलो-रद7 कर के
उस को इक इम्तिहान में रक्खा
तुम तो उस याद की अमान में हो
उस को किस की अमान में रक्खा
अपना रिश्ता जमीं से ही रक्को
कुछ नहीं आस्मान में रक्खा
1. भ्रम
2. उलट-पुलट बढ़ाने वाली
3. हंगामा
4. रक्त का उफान
5. लकडी
6. निरन्तर
7. स्वीकार और अस्वीकार।