तुम मेरा दुःख बाँट रही हो, मैं दिल में शर्मिंदा हूँ
अपने झूठे दुःख से तुम को कब तक दुःख पहुंचाउँगा
तुम तो वफ़ा में सरगरदां हो, शौक़ में रक़्सां रहती हो
मुझ को ज़वाल-ए-शौक़ का ग़म है, मैं पागल हो जाऊंगा
जीत के मुझको खुश मत होना, मैं तो इक पछतावा हूँ
खोऊँगा, कुढ़ता ही रहूँगा , पाऊंगा , पछताऊंगा
अह्दे-रफ़ाक़त ठीक है लेकिन मुझको ऐसा लगता है
तुम तो मेरे साथ रहोगी , मैं तनहा रह जाऊँगा
शाम को अक्सर बैठे बैठे, दिल कुछ डूबने लगता है
तुम मुझको इतना मत चाहो , मैं शायद मर जाऊँगा
इश्क़ किसी मंज़िल में आकर इतना भी बेफ़िक्र न हो
अब बिस्तर पर लेटूँगा मैं, लेटते ही सो जाऊंगा
#जौन