कि जैसे ये शह्रे-बला ही नहीं
तिरे हस्रती1 के है दिल पर ये दाग़2
कोई अब तिरा मुब्तला3 ही नहीं
हुई उस गली में फ़जीहत4 बहुत
मगर मैं वहाँ से टला ही नहीं
निकल चल कभी आप से जाने-जां
तिरे दिल में तो वलवला5 ही नहीं
दमे-आख़िरे-शब6 जो बिछड़े तो बस
पता फिर किसी का चला ही नहीं
क़यामत थी उस के शिकम7 की शिकन8
कोई बस मिरा फिर चला ही नहीं
उसे ख़ून से अपने सींचा मगर
तमन्ना9 का पौदा फला ही नहीं
कहाँ जा के दुनिया को डालूँ भला
इधर तो कोई मज़्बला10 ही नहीं
इक अंबोहे-ख़ूनी दिलां11 है मगर
किसी में कोई हौसला ही नहीं
1. अभिलाषी
2. दुःख
3. आसक्त
4. अपमान
5. आत्मविस्मृति
6. रात के अन्तिम प्रहर में
7. पेट
8. बल, झुर्री, सिलवट
9. आकांक्षा
10. कूड़ा डालने का स्थान
11. दिल के ख़ून हुए लोगों की भीड़।