हम भी अपने सामने से हट गये
रंगे-सरशारी1 की थी जिन से रसद
दिल की उन फ़स्लों के जंगल कट गये
इक चिराग़ां है हवस2 में देर से
जश्न इस का है दिलो-जां बँट गये
शह्रे-दिल और शह्रे-दुनिया अलविदा
हम तो दोनों ही तरफ़ से कट गये
हो गया ख़िरदमंदों को जब
मात खाते ही दीवाने डट गये
चाँद सूरज के अलम और वापसी
वो हुआ मातम कि सीने फट गये
1. मदमस्ती का रंग
2. वासना।