दिल मिरी जान तेरे बस का नहीं
राह तुम कारवाँ कि लो कि मुझे
शौक़ कुछ नग़्म-ए-जरस3 का नहीं
हाँ मिरा वो मुआमला4 है कि अब
काम याराने-नुक्तारस5 का नहीं
हम कहाँ से चले हैं और कहाँ
कोई अन्दाज़ा पेशो-पस6 का नहीं
हो गयी इस गिले में उम्र तमाम
पास7 शोले को ख़ारो-ख़स8 का नहीं
मुझ को ख़ुद से जुदा न होने दो
बात ये है मैं अपने बस का नहीं
क्या लड़ाई भला कि हम में से
कोई भी सैकड़ों बरस का नहीं
1. अभिलाषा
2. लालच
3. यात्रियो की ख़ानगी के समय बजाये जाने वाले घंटे की आवाज़
4. सम्बन्ध
5. कला-मर्मज्ञ दोस्तों
6. आगे-पीछे
7. लिहाज़
8. कूड़ा-करकट।