पहुँचेगी जो न उस तक हम उस ख़बर में होंगे
थक कर गिरेंगे जिस दम बाँहों में तेरी आ कर
उस दम भी कौन जाने हम किस सफ़र में होंगे
ऐ जाने- अहदो-पैमां हम घर बसायेंगे हाँ
तू अपने घर में होगा हम अपने घर में होंगे
मैं ले के दिल के रिश्ते घर से निकल चुका हूँ
दीवारो-दर के रिश्ते, दीवारो-दर में होंगे
तुझ अक्स के सिवा भी ऐ हुस्ने-वक़्ते-रुख़्सत1
कुछ और अक्स भी तो उस चश्मे-तर2 में होंगे
ऐसे सराब3 थे वो ऐसे थे कुछ कि अब भी
मैं आँख बन्द कर लूँ तब भी नज़र में होंगे
उस के नक़ूशे–पा4 को राहों में ढूँढना क्या
जो उस के ज़ेरे-पा5 थे वो मेरे सर में होंगे
वो बेशतर6 हैं जिन को कल का ख़याल कम है
तू रुक सके तो हम भी उन बेशतर में होंगे
आँगन से वो जो पिछले दालान तक बसे थे
जाने वो मेरे साये अब किस खन्डर में होंगे
1. प्रेम प्रतिज्ञा की जान-प्रेयसी
2. विदाई के समय का सौन्दर्य
3. भीगे नयन
4. मृगतृष्णा
5. पदचिन्हों
6. पैरों तले।