कि दार2 पर गये हम और फिर उतर आये
अजीब हाल के मजनूं थे जो ब इश्वा ओ- नाज़3
ब सु-ए-बाद ये महमल4 में बैठ कर आये
कभी गये थे मियाँ जो ख़बर में सह्रा की
वो आये भी तो बगुलों के साथ घर आये
कोई जुनूं5 नहीं सौदाइयाने-सह्रा6 को
कि जो अज़ाब भी आये वो शह्र पर आये
बताओ दामे-गिरव7 चाहिए तुम्हें अब क्या
परिंदगाने-हवा8 ख़ाक पर उतर आये
अजब ख़ुलूस9 से रुख़्सत किया गया हम को
ख़याले-ख़ाम10 का तावान11 था सो भर आये12
1. चेतना
2. सूली, फाँसी
3. घमण्ड और गर्व के हावभाव
4. ऊँट पर बैठने का कजावा
5. उन्माद
6. रेगिस्तान के दीवाने
7. तकलीफ़
8. रहन के बदले
9. हवा मे उडने वाले पक्षी
10. निश्छलता
11. वहम
12. क्षतिपूर्ति।