वो ख़ुशबू लौट आयी है सफ़र से
जुदाई ने उसे देखा सरे-बाम1
दरीचे पर शफ़क़2 के रंग बरसे
मैं इस दीवार पर चढ़ तो गया था
उतारे कौन अब दीवार पर से
गिला है इक गली से शह्रे-दिल की
मैं लड़ता फिर रहा हूँ शह्र भर से
उसे देखे ज़माने भर का ये चाँद
हमारी चाँदनी साये को तरसे
मिरे मानिंद3 गुज़रा कर मिरी जां
कभी तो ख़ुद भी अपनी रहगुज़र4 से
1. छत पर
2. लालिमा
3. तरह
4. मार्ग।