मैं हद से गुज़र जाऊँ मुहब्बत ने कहा था
दर तक तिरे लाई थी नसीमे-नफ़स अंगेज़3
दम भर न रुकूँ ये तिरी निकहत4 ने कहा था
अहसान किसी सर्व5 के साये का न लूँ मैं
मुझ से ये तिरे फ़ित्ना-ए-क़ामत6 ने कहा था
मारा हूँ मशीय्यत7 का नहीं कुछ मिरी मर्ज़ी
ये भी तिरी क़ामत की क़यामत ने कहा था
दिल शह्र से कर जाऊँ सफ़र मैं सू-ए-दुनिया8
मुझ से तो यही तेरी सहूलत9 ने कहा था
1. ठहरुँ
2. पागलपन
3. प्राणदायी
4. महक
5. एक पेड का नाम जिससे शाइरी मे प्रेयसी के क़द की उपमा दी जाती है
6. उपद्रव करने वाले डील, लम्बे क़द
7. ईश्र्वरेच्छा
8. संसार की तरफ़
9. सुगमता।