इक और ज़ख़्म मैं खा लूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हारे आरिज़ो-लब2 की जुदाई के दिन हैं
मैं जाम मुँह से लगा लूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हारा हुस्न, तुम्हारे ख़याल का चेह्रा
शबाहतों3 में छुपा लूँ अगर इजाज़त हो
तुम्हीं से है मिरे हर ख़्वाबे-शौक़4 का रिश्ता
इक और ख़्वाब कमा लूँ अगर इजाज़त हो
थका दिया है तुम्हारे फ़िराक़5 ने मुझ को
कहीं मैं ख़ुद को गिरा लूँ अगर इजाज़त हो
बरा-ए-नाम6 बनामे-शबे-विसाल7 यहाँ
शबे-फ़िराक़8 मना लूँ अगर इजाज़त हो
1. वियोग का कष्ट
2. कपोल और होंठ
3. आकृति
4. प्रेम का स्वप्न
5. विरह
6. नाम मात्र
7. मिलन रात्रि के नाम पर
8. विरह की रात।