मैं हूँ अपने तौर का हारा हुआ
दिल में है मेरे कई चेह्रों की याद
जानिये मैं किस से हूँ रूठा हुआ
शह्र में आया हूँ अपने आज शाम
इक सराय में हूँ मैं ठहरा हुआ
बेतअल्लुक़1 हूँ अब आपने दिल से भी
मैं अजीब आलम2 में बेदुनिया हुआ
है अजब इक तीरगी-दर- तीरगी3
कहकशानों में हूँ मैं लिपटा हुआ
माल बाज़ारे-ज़मीं4 का था मैं ‘जॉन’
आस्मानों में मिरा सौदा हुआ
अब है मेरा कर्बे-ज़ात5 आसां बहुत
अब तो मैं उस को भी हूँ भूला हुआ
1. जिसे कोई लगाव न हो
2. स्थिति
3. घनघोर अँधेरा
4. सार्वजनिक ज़मीन
5. अस्मिता का दुख।