सारे रिश्ते भुलाये जायेंगे
अब तो ग़म भी गँवाये जायेंगे
जानिये किस क़दर बचेगा वो
उस से जब हम घटाये जायेंगे
उस को होगी बड़ी पशेमानी1
अब जो हम आज़माये जायेंगे
‘जॉन’ यूँ है कि आज के मूसा
आग बस आग लाये जायेंगे
क्या ग़रज़ दौरे-जाम से हम को
हम तो शीशे चबाये जायेंगे
मेरी उम्मीद को बजा कह कर
सब मिरा दुख बढ़ाये जायेंगे
कम-से-कम तुझ गली में जानाना
धूम तो हम मचाये जायेंगे
ज़ख़्म पहले के अब मुफ़ीद2 नहीं
अब नये ज़ख़्म खाये जायेंगे
वो ख़ुदा हो कि आदमो-इबलीस3
सब के सब आज़माये जायेंगे
शाख़सारो!4 तुम्हारे सारे परिंद
इक नफ़स5 में उड़ाये जायेंगे
हम जो अब तक कभी न पाये गये
किन ज़मानों में पाये जायेंगे
जमअ हम ने किया है ग़म दिल में
उस का अब सूद खाये जायेंगे
शह्र की महफ़िलों में हम और वो
साथ अब क्यूँ बुलाये जायेंगे
आग से खेलना है शौक़ अपना
अब तिरे ख़त जलाये जायेंगे
ये निकम्मे तुम्हारे कूचे के
जाने क्या-कुछ कमाये जायेंगे
है हमारी रसाई6 अपने में
हम ख़ुद अपने में आये जायेंगे
हम न हो कर भी शह्रे-बूदिश7 में
आये जायेंगे, जाये जायेंगे
मुझ से कहता था कल ये शाहे-बलूत8
सारे साये जलाये जायेंगे
होगा जिस दिन फ़ना9 से अपना विसाल10
हम निहायत सजाये जायेंगे
1. शर्मिन्दगी
2. लाभकारी
3. आदमी और शैतान
4. टहनियों
5. साँस
6. पहुँच
7. अस्तित्व के नगर मे
8. ओक, बाँज, पहाड़ी पेड़
9. मृत्यु
10. मिलन।