आज वहाँ क़व्वाली होगी जॉन चलो दरगाह चलें
अपनी गलियाँ अपने रमने अपने जंगल अपनी हवा
चलते-चलते वज्द1 में आयें राहों में बेराह चलें
जाने बस्ती में जंगल हो या जंगल में बस्ती हो
है कैसी कुछ ना आगाही2 आओ चलो नागाह3 चलें
कूच अपना उस उस शह्र तरफ़ है नामी हम जिस शह्र के हैं
कपड़े फाड़ें ख़ाक-ब-सर4 हों और ब-इज़्ज़ो-जाह5 चलें
राह में उस की चलना है तो ऐश करा दें क़दमों को
चलते जायें, चलते जायें यानी ख़ातिरख़्वाह6 चलें
1. आनन्दातिरेक
2. विवेकहीनता
3. अचानक
4. सर पर ख़ाक
5. प्रतिष्ठा और पद
6. इच्छानुसार।