हिज्र में करना है क्या ये तो बताते जाइये
बन के ख़ुशबू की उदासी रहिये दिल के बाग़ में
दूर होते जाइये नज़दीक आते जाइये
जाते-जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सरो-सामा2 जलाते जाइये
रह गयी उम्मीद तो बर्बाद हो जाऊँगा मैं
जाइये तो फिर मुझे सचमुच भुलाते जाइये
ज़िन्दगी की अंजुमन3 का बस यही दस्तूर है
बढ़ के मिलिये और मिल कर दूर होते जाइये
आख़िरश रिश्ता तो हम में इक ख़ुशी इक ग़म का था
मुस्कुराते जाइये क्षाँसू बहाते जाइये
वो गली है इक शराबी चश्म4 काफ़िर की गली
उस गली में जाइये तो लडखडाते जाइये
आप को जब मुझ से शिकवा ही नहीं कोई तो फिर
आग ही दिल में लगानी है लगाते जाइये
आप का मेहमान हूँ मैं आप मेरे मेज़बान
सो मुझे ज़ह्रे-मुरब्बत5 तो पिलाते जाइये
है सरे-शब6 और मिरे घर में नहीं कोई चिराग़
आग तो इस घर में जानाना लगाते जाइये
1. वियोग
2. सामान
3. सभा
4. मद्यप-सी आँख
5. शील संकोच का विष
6. रात्रि का प्रारम्भ-काल।