ग़म में भी थी जो इक ख़ुशी क्या की
नाज़बरदारे-दिलबरां2 ऐ दिल
तूने ख़ुद अपनी दिलबरी3 क्या की
आ गया मस्लहत4 की राह पे तू
अपनी अज़ ख़ुद गुज़श्तगी5 क्या की
रहरवे-शामे-रोशनी6 तूने
अपने आँगन की चाँदनी क्या की
तेरा हर काम अब हिसाब से है
बेहिसाबी की ज़िन्दगी क्या की
यूँ ही फिरता है तू जो राहों में
दिल मुहल्ले की वो गली क्या की
इक न इक बात सब में होती है
वो जो इक बात तुझ में थी, क्या की
जल उठा दिल, शिमाले -शाम मिरा
तूने भी मेरी दिलदही क्या की
नहीं मालूम हो सका दिल ने
अपनी उम्मीदे- आख़िरी क्या की
‘जॉन’ दुनिया की चाकरी कर के
तूने दिल की वो नौकरी क्या की
1. अस्तित्व
2. प्रेयसी के नाज़ उठाने वाला
3. दिल को मोह लेना
4. अपने अच्छे- बुरे का ध्यान रखकर कोई काम करना
5. स्व की विस्मृति
6. शाम के प्रकाश का यात्री।