मैं आज तेरा गिरेबान फाड़ डालूँगा
तरह-तरह के शगूफ़े2 जो छोडता है तू
मैं दिल का बाग़े-नमू ही उजाड़ डालूँगा
कहाँ का सैले-अज़ल3 ता किनारगाहे-अबद4
मैं हूँ अदम, मैं सभी को लताड़ डालूँगा
बहुत अदा से तो गुज़रा है चश्मा सारों से
ये सुन कि राह में तेरी मैं बाड़ डालूँगा
शगुफ़्तगी5 की तिरी याद जो दिलाते हैं
मैं ऐसे सारे ही पौधे उखाड़ डालूँगा
ये तय किया है कि दरिया-ए-मौज-मस्ती को6
सराबे-दश्ते-तपीदा7 में गाड़ डालूँगा
तमाम नक़्शे-तमन्ना8 फ़रेब थे, सो थे
मैं सारे नक़्शे-तमन्ना बिगाड़ डालूँगा
जो रिश्ता है दिलो- जां का है सर-ब-सर झूठा
सो, मैं तो अब दिलो- जां में दराड़ डालूँगा
झंडोले बालों की पुर फ़ित्ना,उस से कह देना
मैं इस कमीन को ज़िन्दा ही गाड़ डालूँगा
मुझे तो अब उसे दंगल में गन्दा करना है
सो, मैं उसे बुरे हालों पछाड़ डालूँगा
1. घमण्ड
2. नयी बात
3. अनादिकाल का तूफ़ान
4. अन्तिम काल का तट
5. हर्षित, खिला हुआ
6. मौज-मस्ती का दरिया
7. जलते हुए जंगल की मृगतृष्णा
8. आकांक्षा के चिन्ह।