तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या
मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझ को यकसर2 भुला चुकी हो क्या
याद हैं अब भी अपने ख़्वाब तुम्हें
मुझ से मिल कर उदास भी हो क्या
बस मुझे यूँ ही इक ख़याल आया
सोचती हो तो सोचती हो क्या
अब मिरी कोई ज़िन्दगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िन्दगी हो क्या
क्या कहा इश्क़ ज़ाविदानी3 है!
आख़री बार मिल रही हो क्या
हाँ फ़ज़ा याँ की सोई-सोई-सी है
तो बहुत तेज़ रोशनी हो क्या
मेरे सब तंज़4 बेअसर ही रहे
तुम बहुत दूर जा चुकी हो क्या
दिल में अब सोज़े-इन्तज़ार5 नहीं
शम्ए -उम्मीद बुझ गयी है क्या
इस समुन्दर पे तिश्नाकाम6 हूँ मैं
बान,7 तुम अब भी बह रही हो क्या
1. यदा- कदा
2. बिल्कुल
3. अनश्वर
4. कटाक्ष
5. प्रतीक्षा की जलन
6. प्यासा
7. अमरोहा में बहने वाली नदी का नाम। विभाजन से पूर्व शाइर अमरोहा ही में रहता था।