दूर हा दूर1 आ चुका हूँ मैं
ये बहुत ग़म की बात हो शायद
अब तो ग़म भी गँवा चुका हूँ मैं
इस गुमाने-गुमां के आलम में
आख़िरश क्या भुला चुका हूँ मैं
अब बबर शेर इश्तिहा2 है मिरी
शाइरों को तो खा चुका हूँ मैं
मैं हूँ मेमार3 पर ये बतला दूँ
शह्र के शह्र ढा चुका हूँ मैं
हाल है इक अजब फ़राग़त4 का
अपना हर ग़म मना चुका हूँ मैं
लोग कहते हैं मैंने जोग लिया
और धूनी रमा चुका हूँ मैं
नहीं इमला5 दुरुस्त6 ग़ालिब का
शेफ़्ता7 को बता चुका हूँ मैं
1. बहुत दूर
2. क्षुधा, भूख
3. इमारत बनाने वाला
4. मुक्ति, सन्तोष
5. वर्तनी
6. शुद्ध
7. उर्दू के एक शाइर का उपनाम जो समकालीन और शिष्य थे।