पाँव फिसला तो आस्मान में थे
है निदामत लहू न रोया दिल
ज़ख़्म दिल के किसी चटान में थे
मेरे कितने ही नाम और हमनाम
मेरे और मेरे दर्मियान में थे
मेरा ख़ुद पर से एतबार उठा
कितने वादे मिरी उठान में थे
यादे-अय्याम2 इक ज़माने में
हम किसी याद की अमान3 में थे
थे अजब ध्यान के दरो-दीवार
गिरते-गिरते भी अपने ध्यान में थे
वाह उन बस्तियों के सन्नाटे
सब क़सीदे4 हमारी शान में थे
आस्मानों में गिर पड़े यानी
हम ज़मीं की तरफ़ उड़ान में थे
1. उन्माद
2. बीते दिनों की स्मृति
3. संरक्षण
4. प्रशंसा गीत।