ये मिरा तौरे-ज़िन्दगी1 ही नहीं
ऐ उम्मीद2! ऐ उम्मीदे-नौमीदां3!
मुझ से मय्यत तिरी उठी ही नहीं
मैं जो था उस गली का मस्त ख़िराम4
उस गली में मिरी चली नहीं
ये सुना है कि मेरे कुच के बाद
उस की ख़ुशबू कहीं बसी ही नहीं
थी जो इक फ़ाख़्ता उदास-उदास
सुब्ह वो शाख़ से उड़ी ही नहीं
मुझ में अब मेरा जी नहीं लगता
और सितम ये कि मेरा जी ही नहीं
वो जो रहती थी दिल मुहल्ले में
फिर वो लड़की मुझे मिली ही नहीं
जाइये और ख़ाक उड़ाइने आप
अब वो घर क्या कि वो गली ही नहीं
हाय वो शौक़ जो नहीं था कभी
हाय वो ज़िन्दगी जो थी ही नहीं
1. जीने का ढंग
2. आशा
3. निराशा-सी आशा
4. नर्म गति से चलना।