शह्र में आग लगाने के निकले हैं
शह्र कूचों में करो हश्र बपा2 आज कि हम
उस के वादों को भुलाने के लिए निकले हैं
हम से जो रूठ गया है वो बहुत है मासूम
हम तो औरों को मनाने के निकले हैं
शह्र में शोर है, वो यूँ के गुमां के सफ़री
अपने ही आप में आने के लिए निकले हैं
वो जो थे शह्रे-तहय्युर3 तिरे पुरफ़न4 मेमार
वही पुरफ़न तुझे ढाने के लिए निकले हैं
रहगुज़र में तिरी क़ालीन बिछाने वाले
ख़ून का फ़र्श बिछाने के लिए निकले हैं
हमें करना है ख़ुदावंद5 की इमदाद6 सो हम
दैरो-काबा7 को लड़ाने के लिए निकले हैं
सरे-शब इक नयी तम्सील8 बपा होनी है
और हम पर्दा उठाने के निकले हैं
हमें सैराब9 नयी नस्ल को करना है सो हम
ख़ून में अपने नहाने के लिए निकले हैं
हम कहीं के भी नहीं पर ये है रूदाद10 अपनी
हम कहीं से भी न जाने के निकले हैं
1. वियोग
2. ऊधम मचाना
3. अचम्भों का नगर
4. कलात्मक इमारत बनाने वाले
5. ईश्वर
6. सहायता
7. मन्दिर और काबा
8. दृष्टान्त
9. सींचना, तृप्त
10. वृन्तान्त।