वो सूराख़ों से काले नाग निकले
रखो दैरो-हरम1 को अब मुक़फ़्फ़ल2
कई पागल यहाँ से भाग निकले
वो गंगा जल हो या हो आबे-ज़मज़म3
ये वो पानी हैं जिन से आग निकले
ख़ुदा से ले लिया जन्नत का वादा
ये ज़ाहिद4 तो बड़े ही घाघ निकले
है आख़िर आदमियत भी कोई शै
तिरे दरबान तो बुलडाग निकले
ये क्या अन्दाज़ है ऐ नुक्ताचीनो!5
कोई तन्क़ीद6 तो बेलाग निकले
पिलाया था हमें अमृत किसी ने
मगर मुँह से लहू के झाग निकले
1. मन्दिर और मस्जिद
2. तालाबन्द
3. मक्के के पवित्र कुएँ का पानी
4. संयमी
5. छिद्रान्वेषी
6. आलोचना।