चाँदनी में टहल रही होगी
चाँद ने तान ली है चादरे-अब्र1
अब वो कपड़े बदल रही होगी
सो गयी होगी वो शफ़क़-अंदाम2
सब्ज़ क़ंदील जल रही होगी
सुर्ख़ और सब्ज़ वादियों की तरफ़
वो मिरे साथ चल रही होगी
चढ़ते-चढ़ते किसी पहाड़ी पर
अब वो करवट बदल रही होगी
पेड़ की छाल से रगड़ खा कर
वो तने से फिसल रही होगी
नीलगूं झील नाफ़3 तक पहने
संदलीं जिस्म मल रही होगी
हो के वो ख़्वाबे-ऐश से बेदार4
कितनी ही देर शल5 रही होगी
1. बादल की चादर
2. उषा की- सी देह वाली
3. नाभि
4. जाग्रत
5. शिथिल आलसी।