बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
ख़मोशी से अदा हो रस्मे-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं है
वफ़ादारी का दावा क्यूँ करें हम
वफ़ा, इख़्लास,1 क़ुर्बानी, मुहब्बत
अब इन लफ़्जों का पीछा क्यूँ करें हम
सुना दें इस्मते-मरियम2 का क़िस्सा?
पर अब इस बाब3 को वा4 क्यूँ करें हम
ज़ुलेख़ा-ए-अज़ीज़ां5 बात ये है
भला घाटे का सौदा क्यूँ करें हम
हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम
किया था अहद जब लम्हों में हम ने
तो सारी उम्र ईफ़ा6 क्यूँ करें हम
उठा कर क्यूँ न फेंके सारी चीज़ें
फ़क़त कमरों में टहला क्यूँ करें हम
जो इक नस्ले-फ़िरोमाया7 को पहुंचे
वो सरमाया8 इकट्ठा क्यूँ करें हम
नहीं दुनिया को जब परवा हमारी
तो फिर दुनिया की परवा क्यूँ करें हम
बरहना9 हैं सरे-बाज़ार तो क्या
भला अन्धों से पर्दा क्यूँ करें हम
हैं बाशिंदे इसी बस्ती के हम भी
सो ख़ुद पर भी भरोसा क्यूँ करें हम
चबा लें क्यूँ न ख़ुद ही अपना ढांचा
तुम्हें रातिब10 मुहैया क्यूँ करें हम
पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें
ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम
ये बस्ती है मुसलमानों की बस्ती
यहाँ कारे-मसीहा11 क्यूँ करें हम
1. निश्छलता
2. मरियम-ईसा मसीह की माँ का सतीत्व
3. पृष्ठ
4. खोलना
5. जुलेख़ा-मिस्र की रानी जो पैग़म्बर युसुफ़ पर मुग्ध हो गयी थी इसके पति का नाम अज़ीज़ था
6. प्रतिज्ञा-पालन
7. अकुलीन वंश
8. पूँजी
9. नग्न
10. प्रतिदीन का भोजन
11. मसीहा का कार्य-मुर्दों को जीवित करने का काम ईसा मसीह का है।