तिरी फ़ुर्क़त2 मनाई जा रही है
निभाई थी न हम ने जाने किस से
कि अब सब से निभाई जा रही है
हमारे दिल-मुहल्ले की गली से
हमारी लाश लाई जा रही है
कहाँ लज़्ज़त3 वो सोज़े-जुस्तजू4 की
यहाँ हर चीज़ पाई जा रही है
ख़ुशा5 अहवाल6 अपनी ज़िन्दगी का
सलीक़े7 से गँवाई जा रही है
दरीचे8 से था अपने बैर हम को
सो ख़ुद दीमक लगाई जा रही है
जुदाई मौसमों की धूप सुनियो
मिरी क्यारी जलाई जा रही है
मिरी जां अब ये सूरत है कि मुझ से
तिरी आदत छुड़ाई जा रही है
मैं पैहम9 हार के ये सोचता हूँ
वो क्या शै10 है जो हारी जा रही है
1. इच्छा
2. जुदाई
3. आनन्द
4. तलाश की जलन
5. वाह-वाह
6. हाल का बहुवचन, वृत्तान्त
7. शिष्टता
8. झरोखा
9. निरन्तर
10. वस्तु।