और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं
दिले-बर्बाद ये ख़याल रहे
उसने गेसू नहीं सँवारे हैं
उन रफ़ीक़ों1 से शर्म आती है
जो मिरा साथ दे के हारे हैं
और तो हम ने क्या किया अब तक
ये किया है कि दिन गुज़ारे हैं
उस गली से जो हो के आये हों
अब तो वो राहरौ2 भी प्यारे हैं
‘जॉन’ हम ज़िन्दगी की राहों में
अपनी तन्हारवी3 के मारे हैं
1. मित्रों
2. पथिकों
3. अकेला चलना।