तू अगर आइयो तो जाइयो मत
और अगर जाइयो तो आइयो मत
पासे-हालात1 है ज़रूर सो तू
मुस्कुराओ तो मुस्कुराइयो मत
इक क़यामत2 अज़ाब3 है ये ज़मीं
तू इसे आस्मां पे ढाइयो मत
जा रहे हो तो जाओ लेकिन अब
याद अपनी मुझे दिलाइयो मत
दिल है ख्वाबे-ज़मर्रुदैने-ख़याल4
तू इसे अब कभी जगाइयो मत
है मिरा ये तिरा पियाला-ए-नाफ़5
इस से तू ग़ैर को पिलाइयो मत
गोशागीरे - ग़ुबारे - दश्ते – उमिद6
तू कभी अपना घर बसाइयो मत
मेरी तो ख़ुद तुझी से दूरी है
सो, मुझे तू गले लगाइयो मत
शबे-ज़ुल्मानी-ए-सह्र नापैद7
मुख़्तसर दास्तां8 सुनाइयो मत
ये लहू थूकना है इक पेशा
कोई पेशावरी दिखाइयो मत
क्या भला जुज़9 ख़याल हैं हम-तुम
मुझ से अपने को तू छुड़ाइयो मत
जाविदानी10 है बात लम्हे की
तू मुझे रोज़-रोज़ भाइयो मत
दीने-दिल11 में जिहाद12 है मम्नूअ13
तू यूँ ही अपना सर कटाइयो मत
हैं ये लम्हात, जाविदां जानी
अपनी बेचैनियाँ दबाइयो मत
शौक़ का इक बजार हूँ मैं तो
तुम कभी भी मुझे सधाइयो मत
1. स्थितियों का लिहाज, बन्धन
2. प्रलय
3. कष्ट
4. हरियाले सपनों का विचार
5. नाभि-रुपी प्याला
6. आशारुपी ग़ुबार के साथ
7. अँधेरी रात और सुब्ह की कहीं पता नहीं
8. संक्षेप
9. सिवाय
10. अमर
11. दिल के धर्म में
12. धर्म-युद्ध
13. वर्जित।