मुझे फ़ुर्क़त सिखाई जा रही है
ये है तामीरे-दुनिया1 का ज़माना2
हवेली दिल की ढाई जा रही है
वो शै3 जो सिर्फ़ हिन्दुस्तान की थी
वो पाकिस्तान लाई जा रही है
कहाँ का दीन,4 कैसा दीन, क्या दीन
ये क्या गड़बड़ मचाई जा रही है
शऊरे-आदमी5 की सरज़मीं तक
ख़ुदा की अब दुहाई जा रही है
मुझे अब होश आता जा रहा है
ख़ुदा तेरी ख़ुदाई जा रही है
नहीं मालूम क्या साज़िश है दिल की
कि ख़ुद ही मात खाई जा रही है
है वीरानी की धूप और एक आँगन
और उस पर लू चलाई जा रही है
1. दुनिया की रचना
2. समय
3. वस्तु
4. धर्म
5. आदमी का विवेक।