धूप आँगन में फैल जाती है
रंग मौसम है और बादे-सबा2
शह्र-कूचों में ख़ाक उड़ाती है
फ़र्श पर काग़ज़ उड़ते फिरते हैं
मेज़ पर गर्द जमती जाती है
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
सो गये पेड़ जाग उठी ख़ुशबू
ज़िन्दगी ख़्वाब क्यूँ दिखाती है
उस सरापा3 वफ़ा की फ़ुर्क़त4 में
ख़्वाहिशे-ग़ैर5 क्यूँ सताती है
आप अपने से हमसुख़र6 रहना
हमनशीं!7 साँस फूल जाती है
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
कौन इस घर की देखभाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
1. शुभ सन्देश
2. प्रातःकालीन हवा
3. सिर से पाँव तक
4. जुदाई
5. अन्य की इच्छा
6. सहसभाषी
7. मित्र।