कि उस गली में गये अब ज़माने हो गये हैं
तुम अपने चाहने वालों की बात मत सुनियो
तुम्हारे चाहने वाले दिवाने हो गये हैं
वो ज़ुल्फ़ धूप में फ़ुर्क़ुत2 की आयी है जब याद
तो बादल आये हैं और शामियाने3 हो गये हैं
जो अपने तौर से हम ने कभी गुज़ारे थे
वो सुब्हो-शाम तो जैसे फ़साने हो गये हैं
अजब महक थी मिरे गुल तिरे शबिस्तां4 की
सो बुलबुलों के वहाँ आशियाने हो गये हैं
हमारे बाद जो आयें उन्हें मुबारक हो
जहाँ थे कुंज वहाँ कारख़ाने हो गये हैं
1. आकांक्षा के घाव
2. जुदाई
3. छाया के लिए ताना जाने वाला कपड़ा
4. शयनागार।