वस्ल1 है और फ़िराक़2 तारी है
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है
निघरे क्या हुए कि लोगों पर
अपना साया भी अब तो भारी है
बिन तुम्हारे कभी नहीं आयी
क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है
आप में कैसे आऊँ मैं तुझ बिन
साँस जो चल रही है, आरी है
उस से कहियो कि दिल की गलियों में
रात-दिन तेरी इन्तज़ारी है
हिज्र3 हो या विसाल4....कुछ हो
हम हैं और उस की यादगारी है
इक महक सम्ते-दिल5 से आयी थी
मैं ये समझा तिरी सवारी है
हादसों6 का हिसाब है अपना
वरना हर आन सब की बारी है
ख़ुश रहे तू कि ज़िन्दगी अपनी
उम्र भर की उमीदवारी है
1. मिलन
2. वियोग
3. जुदाई
4. मिलाप
5. दिल की तरफ़ से
6. दुर्घटनाओं।