मुहब्बत ज़हर खा कर आयी थी क्या
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मुहब्बत हो गयी क्या
शिकस्ते-एतमादे-ज़ात3 के वक़्त
क़यामत आ रही थी, आ गयी क्या
मुझे शिकवा नहीं बस पूछना है
ये तुम हँसती हो अपनी ही हँसी क्या
हमें शिकवा नहीं इक-दूसरे से
मनाना चाहिए इस पर ख़ुशी क्या
पड़े हैं एक गोशे4 में गुमां5 के
भला हम क्या, हमारी ज़िन्दगी क्या
मैं रुख़्सत हो रहा हूँ, पर तुम्हारी
उदासी हो गयी है मुल्तवी6 क्या
मैं अब हर शख़्स से उकता चुका हूँ
फ़क़त कुछ दोस्त हैं, और दोस्त भी क्या
मुहब्बत में हमें पासे-अना7 था
बदन की इश्तिहा8 सादिक़9 न थी क्या
नहीं रिश्ता समूचा ज़िन्दगी से
न जाने हम में है अपनी कमी क्या
अभी होने की बातें हैं, सो कर लो
अभी तो कुछ नहीं होना, अभी क्या
यही पूछा किया मैं आज दिन भर
हर इक इन्सान को रोटी मिली क्या
1. निरन्तर
2. अपूर्ण मनोरथ
3. अपना भरोसा टूटना
4. कोने में
5. भ्रम
6. स्थगित
7. अहं का शील संकोच
8. क्षुधा, इच्छा
9. सच्ची।