इस गली से गुमान1 की, उठ चल
मांगते हों जहाँ लहू भी उधार
तूने वाँ क्यूँ दुकान की, उठ चल
बैठ मत एक आस्तां2 पे अभी
उम्र है ये उठान की, उठ चल
किसी बस्ती का हो न पाबस्ता3
सैर कर इस जहान की, उठ चल
दिल है जिस ग़म हमेशगी4 का असीर5
है वो बस आन की, उठ चल
जिस्म में पाँव हैं अभी मौजूद
जंग करना है जान की, उठ चल
तू है बेहाल और यहाँ साज़िश
है किसी इम्तिहान की, उठ चल
हैं मुदारों6 में अपने सय्यारे7
ये घड़ी है अमान8 की, उठ चल
क्या है परदेस को जो देस कहा
थी वो लुकनत9 ज़बान की, उठ चल
हर किनारा ख़िरामे-मौज10 तुझे
याद करती है बान की, उठ चल
1. भ्रम
2. ड्योढ़ी
3. बँधा हुआ
4. नित्यता
5. बन्दी
6. चक्कर
7. सितारे, ग्रह
8. शान्ति
9. हकलाहट
10. लहराती हुई चाल।