Jaun Eliya _
Book Yaani
तूने मस्ती वुजूद की क्या की
गम में भी थी जो इक खुशी क्या की
नाज़ ब्रदारे दिल बरां ऐ दिल
तूने खुद अपनी दिल बुरी क्या की
आ गया मसलहत की राह पे तू
अपनी अज़ खुद गुज़श्तगी क्या की
रहरवे शामे रौशनी तूने
अपने आंगन की चाँदनी क्या की
तेरा हर काम अब हिसाब से
है बेहिसाबी की ज़िन्दगी क्या की
यूं ही फिरता है तू जो राहों में
दिल मुहल्ले की वह गली क्या की
इक न इक बात सब में होती है
वह जो इक बात तुझ में थी, क्या की
जल उठा दिल, शुमाले शाम मेरा
तूने भी मेरी दिल दिही क्या की
नहीं मालूम हो सका दिल ने
अपनी उम्मीदे आखिरी क्या की
जॉन दुनिया की चाकरी करके
तूने दिल की वह नौकरी क्या की
उसकी महरम की जो निशानी थी
वक्त तूने वह अलगनी क्या की
नहीं कोई खुशी खुशी बदल जिसका
तूने दिल की वह नाखुशी क्या की ।
#Jauneliya
#जौन_एलिया