हमारा फ़ख़र था फ़ख़र और दानिश अपनी पूँजी थी
नसब नामों के हमने कितने ही परचम लपेटे हैं
मेरे हम शहर, ज़रयून, इक फ़सूं हैं नसल, हम दोनों
फ़क़त आदम के बेटे हैं, फ़क़त आदम के बेटे हैं
मैं जब ओसान अपने खोने लगता हूँ तो हँसता हूँ
मैं तुमकों याद करके रोने लगता हूँ तो हँसता हूँ
हमेशा में ख़ुदा हाफ़िज़, हमेशा में ख़ुदा हाफ़िज़
ख़ुदा हाफ़िज़
ख़ुदा हाफ़िज़